राम
नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं मित्रो !
राम नवमी क्यों मनाई जाती है, आप सभी ये भली –भांति जानते होंगे।
लेकिन कुछ मित्र अभी तक इस तथ्य से अनभिग्य भी होंगे. ये लेख उन मित्रों के लिए है ।
पौराणिक हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि, आज के ही दिन भगवान विष्णु के सातवे अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म चैत्र मास की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में हुआ था।
इस दिन
प्रभु श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या में बड़े धूम –धाम से बड़े चैत्र मेले का आयोजन
किया जाता है ।
जनश्रुति है कि भगवान् विष्णु ने त्रेतायुग में
रावण के अत्याचार के धरती वासियों को मुक्ति दिलाने के लिए अपना सातवां अवतार
प्रभु श्री राम के रूप में लिया था ।
इसके
पीछे तर्क यह है कि चैत्र मॉस के समापन के बाद ही राम नवानी का पर्व आता है ।
इस दिन काफी जगह रामचरित मानस का पाठ होता है।
सनातन
धर्म में श्री राम का क्या महत्व है ?
सद्गुरु
जग्गी वासुदेव के अनुसार श्री राम का महत्व बस इतना नही है कि उन्होंने बहुत ही कस्ट झेले.
बल्कि शिष्टाचार पूर्वक
मानव
मर्यादा में रहकर बड़ी ही शालीनता से सारे कस्ट झेले।
बल्कि एक सच्चे कर्मयोगी की तरह परिश्तिथियों से लड़कर पापी रावण का अंत किया।
भगवान होते हुए भी बिना किसी शक्ति प्रदर्शन के एक साधारण मानव के रूप में उन्होंने असाधारण कार्य किये ।
यही कारण
है की वे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्री राम के रूप में आज भी पूजे जाते हैं ।
जो लोग मुक्ति और गरिमापूर्ण जीवन की आशा करते है उन्हें श्री राम की शरण में जाना चाहिए और उनके जीवन और गुणों से सीख लेनी चाहिए ।
श्री राम
के वे गुण जिन्होंने उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्री राम बनाया ।
विनम्रता -अस्त्र -शास्त्र, ४ वेदों , १२ कलाओं, १८ पुरानो के ज्ञाता श्री राम कठिन से कठिन परिस्तिथियों में हमेशा ही विनम्र रहे , रामायण का कोई भी प्रसंग उठाकर देख लीजिये .. उन्होंने अपना आपा कभी नही खोया . विनम्रता सबसे बड़ी सीख है जो हमें श्री राम से सीखनी चाहिए ।
चरित्र - श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्यूंकि न वो सिर्फ भगवान थे , बल्कि एक साधारण मानव की सीमा में रहकर उन्होंने अपना चरित्र बनाये रखा . श्री राम एक आदर्श पुत्र , एक आदर्श भाई , पति व् मित्र थे , बल्कि एक आदर्श राजा भी थे , इसी लिए इस्नके राज्यकाल को राम राज्य कहा जाता है ।
आदर- माता-पिता गुरुजनो के अलावा भी श्री राम सभी
का आदर करते थे । रावण भले ही रामकथा का खलनायक था ,
बल्कि वो एक महापंडित और महाज्ञानी भी
था ।
रावण के वध के बाद श्री राम ने लक्ष्मण को रावन की मृत्युशय्या के पास ज्ञान लेने के लिए भेजा था ।
क्षमाशीलता- क्षमाशीलता के
कारण ही प्रभु श्री राम को भगवान् का दर्जा प्राप्त है.
वचनबद्धता
– प्रभु श्री राम जैसा बलते थे वैसा करते थे , उनका बोला हर शब्द पत्थर पर खिची एक
लकीर था ।
रघुकुल भी जाना जाता है तो वो अपनी वचनबद्धता के कारण ही जाना जाता है ।
रघुकुल
रीत सदा चली आई ।
प्राण जाय
पर वचन न जाई ।।
कर्मयोगी - भगवन राम चाहे तो श्री कृष्ण की भांति, शंख,चक्र,पद्म, गदा धारी अपना असली चतुर्भुज वाला विराट स्वरुप धरकर बड़ी आसानी से रावण को समाप्त कर सकते थे , लेकिन उन्होंने एक साधारण मानव की सीमा में रहकर, अनेकों कस्ट उठाकर ही उसका अंत किया . ताकि एक साधारण मनुष्य भी ये समझ सके कि यदि इरादे सच्चे और नेक हो तो असंभव भी संभव हो जाता है ।
मित्रता -जब श्री राम ने बाली को मारकर सुग्रीव की सहायता की थी तो , बाली ने श्री राम से प्रश्न किया था कि आपने मेरे साथ छल क्यूँ किया . ये तो अधर्म है ।
उत्तर में श्री राम ने बाली को धर्म के संबंध में ये चार बातें बताई थी, जो आपको भी ज्ञात होनी चाहिए।
·
१ अन्याय करने वाले के साथ अन्याय करना अनुचित नही होता।
·
२ मित्रता से बड़ा कोई धर्म नही होता ।
·
३ मित्र का शत्रु, आपका भी शत्रु होता है ।
·
४ जब तक मित्र दुखी है, तब तक हमें भी सुखी होने का कोई अधिकार नही !।
ज्ञान की परख - रावण जब अपनी अंतिम सांसे ले रहा था तो श्री राम ने लाक्ष्मन से कहा था कि रावण भले ही एक राक्षस है , लेकिन इस युग में अभी तक रावण के जितना विद्वान व् शास्त्रों का प्रकांड पंडित कोई नही है . तुम भी रावण से ज्ञान गरहन करो . वो तुम्हे अवश्य ही अपने ज्ञान सागर के जल से तुम्हारी जिज्ञासा रूपी प्यास को शांत करेगा।
तब लक्ष्मण ने श्री राम की आज्ञां से रावण से ज्ञान माँगा था जो निम्न है ।
- · शुभ काम करने के लिए कभी इंतज़ार न करना ।
- · अपने प्रतिद्वंदी को कभी कमजोर न समझना।
- · - अपने जीवन के रहस्यों को सदा गुप्त ही रहने देना चाहए।
मित्रों . रामनवमी के इस पवन अवसर पर आप भी श्रीराम के इन गुणों को ग्रहण कीजिये . और मर्यादा में रहकर इस जीवन रुपी महासमर में एक योद्धा की भांति लड़िये .. प्रभु श्री राम आपका मार्ग दर्शन करेंगे ।
काम क्रोध मध माद न मोहा, लोभ न छोभ न राग न द्रोहा।
जिनके कपट दम्भ न माया, तिन्ही के हृदय बसहि रघुराया।।
11 टिप्पणियाँ
बहुत बढ़िया और सुंदर श्रीराम प्रभु का चरित्र विवरण
जवाब देंहटाएंलेख पढ़ने के लिए धन्यवाद सर
हटाएंबहुत सुन्दर।
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श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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मित्रों पिछले तीन दिनों से मेरी तबियत ठीक नहीं है।
खुुद को कमरे में कैद कर रखा है।
आपको भी रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं सर। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखियेगा।
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलेख पढ़ने के लिए धन्यवाद ओमकार जी
हटाएंराम के चरित्र का सुंदर चित्रण,बहुत ही सुंदर ज्ञानवर्धक सृजन,,सादर नमन
जवाब देंहटाएंलेख पढनेबके लिए भी आपको धन्यवाद कामिनी जी।
हटाएंबहुत सुंदर सनातन पोस्ट।
जवाब देंहटाएंसाधुवाद।
आपको लेख पसन्द आया जानकर अच्छा लगा।आपको भी साधुवाद 🙏
हटाएंमेरे लेख को चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद मीना जी।
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