“क्यूंकि हम मैगी नहीं इमोशन बनाते हैं “ एक मुस्कान के साथ चुटकी बोली..
“Wow! तू तो जीनियस हे बहना! चल लगा मैगी!”
इतना बोलकर आर्या अपनी नोटबुक में कुछ लिखने लग गयी..
अगले दिन.. ऑफिस में
“मिस आर्या आपकी one लाइनर टैगलाइन हमको पसंद आ गयी.. अब इसे ही क्लाइंट्स को दिखाएंगे..
मिस रूबी आर्या को देखते हुऐ बोली.
“क्या हम भी सुन सकते हे इनकी टैग लाइन?”. अर्पित मिस रूबी की और देखते हुऐ बोला
“ हम एडवरटाइजमेन्ट नहीं इमोशन बनाते हैं! “ रूबी एक ऊँचे स्वर में बोली..
और रमेश और अर्पित एक साथ तालियां बजाने लगे..
“ काफ़ी क्रिएटिव टैग बनाई हैं “ रमेश बोला.
“Thanks!” आर्या बोली
“ कहां से मिली इस्पिरेशन “ अर्पित बोला
“ चुटकी से “
“ अपनी उम्र से काफ़ी जादा समझदार हैं.. स्कूली बच्चों के लिए ये काम इतना आसान नहीं”
इतना बोलकर रमेश रुक गया और 2 सेकेण्ड के ठहराव के बाद फिर बोला.
“ नाम से ही लगता हैं कोई छोटी बच्ची होंगी “
आर्या ने रमेश को देखा और बोली
“ 1 मिनट.. तुम्हे चुटकी के बारे में इतना कैसे मालूम हैं.. चलो नाम से पाता तो कोई भी लगा सकता हैं, लेकिन age का guess कैसे किया?”
आर्या के इस सवाल पर रमेश अब मौन था.. मानो उसके पास अब कोई जवाब ना था.
लेकिन रमेश की इस हालत पर अर्पित को थोड़ा तरस आया, और उसकी मदद करते हुऐ वो बोला..
“ अरे age का क्या हैं 10 -12 की होंगी.. इसका अंदाजा तो कोई भी लगा सकता.. अब 20 साल की लड़की को तो चुटकी नहीं बोल सकते हे ना?”
“हम्म arpit is right!” Ramesh बोला
“Sir आपसे कुछ बात करनी थी.. अकेले में “ रमेश की और देखकर arpit बोला..
“आप लोग बात कीजिये.. मैं चलती हूँ “ आर्या इतना बोलकर अपने फोन पर आए चुटकी के मेसेज देखकर वहां से चलती बनी..
“तुम्हे तो उसके बारे में सबकुछ पता हैं!” एक लम्बी सांस लेने के बाद अर्पित बोला.
“ पहले से जानता हूँ “
“पता तो मैंने भी आपके बारे में सब लगा लिया हैं वैसे, मिस्टर आर्यन मालिक “ अर्पित बोला
रमेश ने उस कमरे में इधर उधर देखा और अर्पित की और तीखी निगाहों से देखते हुऐ बोला..
“बताना चाहते हो तो सबको बता दो फिर.. मेरा काम तो वैसे ही हो जायेगा..ये नाम मेरे काम से इतना बड़ा हैं कि मैं उसके आगे एक मक्खी के बराबर भी नहीं..”
रमेश एक लंबी गहरी सांस लेने के बाद अपनी दोनो आँखे बंद करके कुछ सोचने के बाद गहरी सांस लेने के बाद बहुत धीमे स्वर में बोला..
रमेश ने फिर बोलना शुरू किया
“नो स्पेशल पावर का मतलब तो अब समझ गए होंगे ना? मैं नहीं चाहता था कि आर्या को कभी आर्यन के बारे में पता लगे.. “
Arpit ने रमेश कि और देखा और बोला
“ तुमहारे पास वो सब कुछ हैं जो उसे चाहिए.. और तुम यहां फेयर गेम खेलना चाहते हो.. तुम अमीरों का भी ना.. रोटी- पानी सबकुछ तो नौकर हाथ पे रख देते हैं और तुम हम गरीबों के साथ लव गेम खेलते हो फिर “
“ तुम्हे अभी आधा किस्सा ही मालूम हैं”
“तुम्हे कैसे पता “
“ रस्तोगी सिर्फ तुम्हारा ही दोस्त हैं? “
“Rstogi”!” इतना बोलकर arpit के जैसे पैरों से ज़मीन ही खिसक गयी..
“हाँ, मुझसे पूछकर ही उसने मेरी इनफार्मेशन तुम्हे दी “
रस्तोगी वही था साइबर डिपार्टमेंट का एक आदमी…जो कम्प्यूटर हैकिंग वगैरा में एक्सपर्ट था..
“ल ल लेकिन.. तुम्हारी मदद
उसने क्यों कि? पैसों के लिए?”
“ पैसों के लिए उसे काम करना होता तो वो तुम्हारी मदद कभी नहीं करता.. अर्पित इतना समझ लो कि कुछ चीज़ें पैसों से तो कभी नहीं खरीदी जा सकती.. बस प्यार भरें दो शब्द ही काफ़ी होते हैं.. जैसे im sorry”
अर्पित मन ही मन कुछ सोचने लगा.. और फिर बोला
“ अपनी सच्चाई तुम खुद ही क्यों ना बताते आर्यन?
तुम आर्यन इंडस्ट्रीज के राजकुमार हो.. यहीं खासियत हैं तुम्हारी.. इससे भी जरुरी कोई चीज हैं तो वो भी बाता दो इस नाचीज़ को.. “
“ठीक हैं.. बताता हूँ.. “
और इतना कहकर रमेश कुर्सी से उतरकर नीचे ज़मीन पर बैठ गया..
और उसके दिमाग़ ने अतीत कि घटनाये ऐसे घूमने लगी मानो जैसे कोई सिनेमा चल रहा हो..
7 साल पहले
एक नौजवान अपने बिस्तर se नीचे उतरा और सोने के बने जग से पानी का एक घूट पीते हुऐ उसे वहीँ कमरे के बीचो नीच रखी एक आलीशान मैजिक पर रख दिया जिसने सोने से नक्काशी की हुई थी.
फिर वो अपने आलीशान कमरे से बाथरूम की तरफ गया.
बाथटब पहले से ही पानी से भरा हुआ था, शायद ये उसके किसी नौकर का काम था… बाथटब के पानी में गुलाब की पंखुड़ियाँ तैर रही थी..
उन्हें देखकर वो नाक भोह सिकोड़ते हुऐ दरवाजे पर खड़ा होते हुऐ चिल्लाया
“राम लाल! कितनी बार बोला हैं गुलाब से एलर्जी हैं मुझे.. इतना कहकर वो उसी बाथटब में बैठ गया..
उसकी नाक लाल हो चुकी थी जो इस बात का सबूत थी की उसे सच में गुलाबों से एलर्जी हैं..
“ i want lotus! In my bathtub!!” वो फिर चिल्लाया..”
“ प्रिंस आर्यन!! कमल बाथटब मेँ नहीं उगाये जा सकते!”रामलाल दरवाजे से अंदर झाँकते हुऐ बोला.
“उगाये जा सकते हैं चचा.. आओ बताता हूँ कैसे”
इतना बोलकर वो रामलाल को कुछ समझाने लगा..
पूरा किस्सा सुनने के बाद रामलाल बोले
“ आप पर तो माँ लक्ष्मी और सरस्वती दोनों की कृपा हैं प्रिंस. और दिल के भी बहुत अच्छे हो आप.. बस चिल्लाते जादा हो “
“रामू काका पता हैं ना गुलाब मेरे लिए कितने ख़तरनाक हैं?”
“ वो नया लड़का आया हैं ना रूम सर्विसिंग के लिए.. पता नहीं होगा उसे”
“ यार! हमारे पास बहुत पैसे हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि हमारे नौकर भी नौकर रख लेंगे अब.. हाहा Haha “ मजाकिया लहजे में वो बोला..
“ सब सरजी का किया धरा हैं प्रिंस!”
“पापा भी ना ..” इतना ही बोल सका वो कि उसका सर घूमने लगा
और फिर वो बेहोश हो गया..
जब उसकी आँखे खुली तो वो अस्पताल में था
“कुछ नहीं होना चाहिए इसे” मिस्टर बज़ाज़ डॉक्टर से बोलेंगे
आर्यन वहीँ bed पे लेता हुआ सुन रहा था..
“हार्ट ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा!” डॉक्टर मिस्टर बजाज से बोला.
“ जितना पैसा लगेगा उसका 10 गुना दूंगा.. लेकिन जल्दी करो..”.
“ एक आदमी मिल गया हैं सर “
“ तो समस्या क्या हैं “
“ ब्लड भी चाहिए ओ.. वो मुश्किल से मिलेगा”
“ सर!” एक नर्स दौड़ती हुई वहा आई
“ बोलो!”
“ सर वो डोनर मर गया.. उसकी बेटी ब्लड चढ़ाने आई थी उसे.. उसका ब्लड ग्रुप ओ he”
“उसकी बेटी को मत बताना कि पापा मर गए.. ठीक हैं? और निकालो उसका खून.. कम से कम 4 पाउच!”
“ठीक हैं सर “
और फिर उसका हार्ट ट्रांसप्लांट हो गया और वो बच गया.. लेकिन फिर वो वो नहीं रहा.. उसका जन्म एक नए इंसान के रूप में हो चूका था.”
“ वो उसके पापा का हैं “ रमेश की बात सुनकर अर्पित पहले ही बोल पड़ा.
“ सही समझें!”
“ समझ गया मिस्टर आर्यन!”
“आर्यन मर चूका हैं, मैं रमेश हूँ!”
“ रमेश कैसे पैदा हुआ इसकी कहानी नहीं सुनाओगे? “
“ तो सुनो.. अस्पताल से घर जाने के बाद में पिताजी से बोला”
“आपने उनके लिए व्यवस्था की?”
“हाँ 10 लाख दें दिए हैँ “
“ बस 10 लाख “
“ 10 लाख बहुत होते हैं बेटा.. गरीबों के लिए “
“ लेकिन क्या मेरी जान की इतनी ही कीमत हैं? “
“ अमीर हो इसलिए 10 लाख कीमत लगी.. गरीब होते तो…”
“ तो? “
“ मारे जाते एक गरीब की मौत!”
“ मतलब आप समझते हो की मैं जिन्दा हूँ तो आपकी इस दौलत की बदौलत? “
“ कोई शक आर्यन? “
“ नहीं.. “
“गुड़”
“ मर गया आर्यन.. मैं सब छोड़ रहा हूँ.. मुझे कुछ नहीं चाहिए “
“ सोच लो”
“ सोच लिया “
“क्या सोचा? “
“ यहीं कि अपनी खुद कि तलाश करनी पड़ेगी मुझे!”
“ सरवाईव तो तुम कर ही लोगे अपनी अक्सफ़ोर्ड की डिग्री के साथ!”
“ नहीं! मुझे कुछ नहीं चाहिए.. ये डिग्री भी नहीं.. और ना ही दिवार में टांगे ये डिप्लोमा.. अबसे में रिक्त हूँ. एक खाली कोरी क़िताब.. इंन अमीरों वाली चीज़ों कामैं अभी से त्याग करता हूँ.. और त्याग करता हूँ अपनी सारी स्पेशल पावर्स का, जो इंन पैसों से खरीदी गयी हैं “
“ जैसी तुम्हारी मर्जी बेटा.. दुनियां अपने असली रंग से तुम्हारी क़िताब के कोरे पन्ने भर देगी.. और तुम भी मरोगे उसी रमेश कि मौत.. जो अपने परिवार के लिए 10 लाख में बेच गया था अपना दिल..”
“ रमेश मरा नहीं वो तब तक जिन्दा रहेगा जब तक इस सीने में धड़क रहा हैं “
इतना बोलकर वो फ़्लैशबैक से वापस उसी जगह आ गया जहाँ अर्पित को अपनी कहानी सुना रहा था..
“तो आर्या के पिता का नाम हैं रमेश?”
“था.. अब मेरा हैं!”
दुसरी तरफ आर्या अपने घर पहुँचती हैं
रोज़ की तरह चुटकी आज़ भी दरवाजे पर उसका इंतज़ार कर रही थी..
“तो मिस आर्या,कैसा रहा ऑफिस का पहला दिन?” चहकते हुऐ चुटकी बोली जैसे जवाब पहले से मालुम था.
“बढ़िया रहा बहुत बढ़िया.. मेरे tagline सबको पसंद आई “ आर्या बोली.
“तो कुछ चीज भूल नहीं रहें आप? जैसे किसी को थैंक्स बोलना.. “
आर्या ने इतना सुना तो उसे यकीन नहीं हुआ कि चुटकी क्या बोल रही हैं.. फिर भी कन्फर्ममेशन के लिए उसने पूछ ही लिया
“ थैंक्स किसे बोलू अब.. तुम्हारी मैगी को? “
“ हाँ.. आईडिया तो मेग्गी ने ही दिया था वैसे मुझे.. हाहा “
“ तुम्हे कैसे पता चला? “
“ बात कुछ ऐसी हैं ना मिस आर्या कि सिर्फ तुम ही मेरा होमवर्क चेक नहीं करती “
“ मतलब तुम भी…”
“ पापा से वादा जो किया था क़ि तुम्हारा ध्यान रखूंगी “
“ तुम बहन नहीं, दादी अम्मा हो चुटकी!”
“ बनना पड़ता हैं जब बड़े छोटों का आईडिया चुराकर उन्हें उनके हिस्से का क्रेडिट भी ना दें तो.. “
इतना बोलकर चुटकी अलमारी की और चले गयी..
पहले उसने आर्या के लिए एक ड्रेस निकाली और फिर अपने लिए
“ नौकरी का पहला दिन था सैलेरी नहीं मिली, मैगी बनाओ, मुझे और आइडियाज चाहिए, मेरी आईडिया निकालने वाली मशीन “ आर्या चुटकी को देखते हुऐ बोली.
“ तुम्हारा एक भी रुपया लहर्च नहीं karwaungi”
“ तो फिर? “
“ मुर्गा मिलने आ रहा तुम्हे.. “
“ मनीष? “
“हाँ 3 स्टार में मिलने के लिए बोल दिया मैंने “
“ बहुत चिपकूँ हैं यार.. मुझे तो जरा भी पसंद नहीं!”
“ लेकिन मुझे तो हैँ! हाहा अपनी आईडिया मशीन के लिए इतना तो करना ही पड़ेगा मैडम आपको “
“ जी.. रानी साहेबा. इतना तो करना ही पड़ेगा “ इतना बोलकर आर्या अपनी ड्रेस चेंज करने लगी..
थोड़ी देर बाद वो उस होटल की तरफ चल निकले जहाँ मनीष उनका इंतज़ार कर रहा था..
“ hii!” आर्या तो देखकर कुर्सी पर बैठा मनीष आर्या के वहां पहुंचने से पहले ही बोल पड़ा
“Hii manish!” आर्या एक बनावटी मुस्कान के साथ बोली.
“ मुझे पता था आज़ तुम जरूर आओगी “ मनीष बोला..
“ हाँ, कोई जरुरी काम था क्या? “
“ यार मेरी अमेरिका में जो जॉब लगी हुई थी ना, उसने एक वकेंसी निकली हैं.. रेशेप्सनिस्ट की, तुम्हारा cv भेजो दिया था और तुम सलेक्ट भी हो गयी “
इतना सुमते ही आर्या के चेहरे पर छायी नकली हँसी मानो कहीं गुम सी हो गयी
“ आर्या दी को ऑलरेडी जॉब मिल चुकी हैं “ चुटकी बोली.
नमस्कार मित्रो! मेरे ब्लॉग galpgyan.com में आपका स्वागत है।
मेरा नाम अरविंद सिंह नेगी है। मैं रुद्रप्रयाग उत्तराखंड से हूं। देहरादून में B.A Mass communication से स्नातक डिग्री लेने के बाद मैंने कुछ समय के लिए फोटोग्राफी और डॉक्यूमेंट्री के क्षेत्र में काम किया।
फिर उसके बाद से आजतक उपन्यास लेखन में हाथ आजमा रहा हूँ। मेरा लिखा पहला उपन्यास 'अलबेला' है। जो कि एक रोमांच फंतासी फिक्शन किताब है। आप चाहो तो इसे अमेज़ॉन से आर्डर कर सकते हो।
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